VTP UPDATES

6/recent/ticker-posts

DHAMTARI/ KURUD:- आज से हजरत सैय्यद अली मीरा दातार केआस्ताने में तीन दिवसीय उर्स मेला शुरू


धमतरी/कुरुद. हजरत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताने मुबारक में तीन दिवसीय उर्स मेला का आयोजन ७ फरवरी से शुरू होगा। इसके लिए जायरिनों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। उर्सपाक कमेटी की ओर से तैयारी को अंतिम रूप दे दिया गया है। मौके पर तकरीर, कव्वाली, लंगर समेत विविध कार्यक्रम होंगे।.
उल्लेखनीय है कि धमतरी जिला मुख्यालय से २५ किमी दूर कुरुद ब्लाक है। यहां छत्तीसगढ़ का प्रमुख धार्मिक केन्द्र हजरत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह का आस्ताना मुबारक है। यहां से विभिन्न संप्रदाय के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। जायरिनों का मानना है कि यहां सच्चे दिल से यदि दुआ मांगी जाए, तो वह जरूर पूरी होती है। और तो और भूत, प्रेत, बलाओं और परेशानियों से भी लोगों को मुक्ति मिलती है। शायद यही वजह है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के अलावा विभिन्न प्रदेशों से यहां आकर लोग अपने अकीदत के फूल चढ़ाते हैं। आस्ताने के खादिम सैय्यद हसन अली उर्फ बब्बू भाई ने बताया कि इस साल भी तीन दिवसीय उर्स मेला का आयोजन ७ से १० फरवरी तक किया गया है। इस कड़ी में ७ फरवरी को हजरत मामू हम्जा शहीद रहमुतुल्लाहअलैह का उर्सपाक होगा। ८ फरवरी को मां साहिबा रास्ती अम्मा और १० फरवरी को मां साहिबा दादी अम्मा का उर्सपाक मनाया जाएगा। इस मौके पर तकरीर, कव्वाली और मटका पार्टी का प्रोग्राम होगा। जायरिनों के लिए लंगर की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने हजरत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह के अकीदतमंदों से उक्त सभी प्रोग्राम में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर लाभ उठाने के लिए कहा है।
आवश्यक सभी तैयारी पूरी-
उर्सपाक कमेटी के सदर मोहम्मद वकील अशरफी ने बताया कि हजरत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह का आस्ताना संप्रदायिक सौहार्द्रता का प्रतीक है। उर्स पाक में सभी वर्ग के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यही वजह है कि संप्रदायिक सद्भावना को और ज्यादा मजबूती मिल रही है। उन्होंने बताया कि उर्सपाक को सफल बनाने के लिए आवश्यक सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। जायरिनों का आना भी शुरू हो गया है।
... और जिंदगी संवर गई
हजरत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह से निस्बत रखने वाले सरदार करतार सिंह, ठाकुर ब्रजेश सिंह,  सुखचैन जैन, कादर भाई, मनोहर सिन्हा का कहना है कि यहां आकर हाजिरी देने से उन्हें काफी सुकून मिलता है। बाबा की दुवाओं से ही आज उनका परिवार खुशहाल जिंदगी जी रहा है। महिला मरियम बाई, शकीना, मीना बाई, लता चौहान, दीप्ति अग्रवाल का कहना है कि जो बड़े सूफी संत होते हैं, वो लोगों की दिल की भावनाओं को समझते हैं। यह उनकी खुशनसीबी है कि दातार के करम से उनकी जिंदगी भी संवर गई।