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DHAMTARI:- आश्रम छात्रावासों में बच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जाए-कलेक्टर

आदिवासी विकास विभाग द्वारा ज़िले में संचालित 58 आश्रम-छात्रावासों में बच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर देने कलेक्टर पी.एस. एल्मा ने निर्देश दिए। उन्होंने साथ ही विभागीय अमले को इन संस्थाओं में अध्ययनरत बच्चों के शिक्षा स्तर को बेहतर करने विभाग के निचले स्तर पर नियमित समीक्षा करने पर विशेष बल दिया है, ताकि दूर दराज से यहां पढ़ने आए बच्चों का शिक्षण अधिगम को ऊंचा उठाया जा सके। सुबह 11 बजे से आहूत आदिवासी विकास के ज़िला स्तरीय निगरानी/परामर्शदात्री समिति की बैठक लेते हुए कलेक्टर ने अधीक्षकों को अपने दायित्व को समझते हुए गंभीरता से उसका निर्वहन करने कहा। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने कहा कि इन संस्थाओं में रहने वाले बच्चों की तय दैनिक समय सारिणी का सही तरीके से पालन सभी अधीक्षक सुनिश्चित करें।
               कलेक्टर ने छात्रावास-आश्रम की नियमित साफ-सफाई, बच्चों की व्यक्तिगत साफ-सफाई पर बल दिया। साथ ही उनके भोजन, खेलकूद की गतिविधियों, स्वास्थ्य, सुरक्षा सब का ध्यान रखने कहा। उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को ऐसे 15 संस्था, जहां बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए चिकित्सक नियुक्त नहीं किए गए हैं, वहां जल्द उनकी ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए। साथ ही सभी आश्रम-छात्रावासों में बच्चों का नेत्र और ब्लड ग्रुप जांच कराने भी कहा, जिससे उनका स्वास्थ्य कार्ड अद्यतन रहे और बच्चों को स्वास्थ्य सुविधा देने में सहूलियत हो।
             बैठक में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास डॉ. रेशमा खान ने बताया कि 58 में से 35 बालक और 23 कन्या छात्रावास-आश्रम हैं। इन संस्थाओं में मूलभूत सुविधाओं की जानकारी भी बैठक में दी गई। बताया गया सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर 23 कन्या छात्रावास-आश्रमों सहित कन्या शिक्षा परिसर दुगली और एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय पथर्रीडीह, कुल 25 में सी.सी.टी.वी. कैमरा लगाए गए हैं। इस मौके पर कलेक्टर ने सभी संस्थाओं में गठित निगरानी समिति की नियमित बैठकें रखने कहा, जिससे संस्था स्तर पर आ रही समस्या का हल निकाला जा सके।
  इससे पहले छात्रावास/आश्रम चयन समिति की बैठक लेते हुए कलेक्टर  ने आदिवासी विकास विभाग के आश्रम-छात्रावासों में स्वीकृत सीट के विरुद्ध मिले आवेदन और रिक्त सीट की जानकारी ली। बताया गया कि 58 आश्रम छात्रावासों में कुल 3045 स्वीकृत सीट के विरुद्ध 2133 सीट में बच्चों को प्रवेश दिया गया है और 912 सीट रिक्त हैं। जिन जगहों पर सीट रिक्त है, उनमें समायोजन करते हुए संस्थाओं में बच्चों को प्रवेश दिलाया जाना प्रस्तावित है। बैठक में इस प्रस्ताव का सर्व सम्मति से अनुमोदन किया गया। कलेक्टर ने सुनिश्चित करने कहा कि कहीं भी सीट खाली ना रहे, अतः जो बच्चे प्रवेश लेना चाहते हैं उन्हें रिक्तता के आधार पर प्रवेश जरूर दिया जाए। इस मौके पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष  निशु चंद्राकर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज़िला पंचायत  प्रियंका महोबिया सहित समिति के अन्य सदस्य और आदिवासी विकास विभाग का अमला बैठक में मौजूद रहा।